दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और नई सरकार का गठन हो चुका है। महाराष्ट्र में अजित पवार, जो भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के साथ गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम हैं, को इन नतीजों के बाद बड़ा झटका लगा है। अजित पवार ने बीते साल अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर अपनी नई पार्टी बनाई थी, लेकिन उनके दल को महाराष्ट्र में केवल एक सीट पर ही जीत मिल सकी। बारामती लोकसभा सीट पर अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को सुप्रिया सुले के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा।
शरद पवार की तारीफ
नतीजों के बाद अजित पवार के बोल बदलते नजर आ रहे हैं। सोमवार को एनसीपी के 25 साल पूरे होने के मौके पर उन्होंने शरद पवार की तारीफ की। अजित पवार ने कहा, "शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर अलग होकर नई पार्टी का गठन किया था। वह तब से ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं और हमारे संगठन को दिशा दे रहे हैं।" यह पहली बार है जब अजित पवार ने जून 2023 में शरद पवार से अलग होने के बाद उनकी तारीफ की है। इस तारीफ को ऐसे समय में करना, जब उनके गुट को सिर्फ एक लोकसभा सीट मिली है और शरद पवार खेमे ने 10 सीटें जीती हैं, कयासों को जन्म दे रहा है।
एनडीए के साथ रिश्तों पर सफाई
अजित पवार ने एनडीए के साथ अपने रिश्तों और मोदी सरकार में मंत्री पद न लेने पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा, "हमारा कहना था कि प्रफुल्ल पटेल पहले भी कैबिनेट मिनिस्टर रहे हैं। ऐसे में वह राज्य मंत्री क्यों बनेंगे। हमने इस बारे में भाजपा की लीडरशिप को बता दिया है। हम कुछ समय इंतजार करेंगे और एनडीए में ही बने रहेंगे। इसके अलावा 15 अगस्त से पहले तक हमारी राज्यसभा में एक के बजाय तीन सीटें हो जाएंगी।"
विचारधारा में बदलाव नहीं
अजित पवार ने स्पष्ट किया कि भले ही वह भाजपा और एकनाथ शिंदे सेना के साथ हैं, लेकिन उनकी विचारधारा में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा, "हमारी विचारधारा वही है, वही राह है जो महात्मा फुले, भीमराव आंबेडकर और शाहू जी महाराज ने दिखाई थी।" एनडीए की ओर से संविधान बदले जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष ने गलत नैरेटिव फैलाया था, जिसमें वह सफल रहा।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा सूत्रों का कहना है कि अजित पवार को नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया था कि 7 सीटें जीतने वाले एकनाथ शिंदे गुट को एक राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का ही पद मिला है। इसलिए एक सीट वाले अजित पवार के दल के लिए यह ऑफर उचित है।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि अजित पवार वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में अपने भविष्य की रणनीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं और शरद पवार के प्रति उनके बदले हुए बोल इसी का हिस्सा हैं।