Madhya Pradesh: जीतू ही रहेंगे प्रदेश कांग्रेस के 'अध्यक्ष'

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भरोसा जताया है। उन्हें नई ऊर्जा के साथ काम करने के लिए कहा गया है और पार्टी उनके प्रदर्शन से संतुष्ट है। इस निर्णय से पटवारी को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है और संगठन में उन लोगों को भी संदेश दिया गया है जो पार्टी के निर्णय के खिलाफ मुखर होने की कोशिश कर रहे थे।

जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान उस समय सौंपी गई थी जब प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था। प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई थी और भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था। कार्यकर्ता निराश थे और ऐसे समय में पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान मिली थी।

चुनौतियों के बीच कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास:

पटवारी ने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव घोषित हो गए, जिससे पटवारी को ज्यादा समय नहीं मिल सका। हालांकि, मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए, फिर भी कांग्रेस को लगभग 32.44 प्रतिशत वोट मिले। 8 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को 40 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 34.50 प्रतिशत वोट मिले थे, इस बार मात्र 2 प्रतिशत वोट कम मिले।

वरिष्ठ नेताओं के साथ छोड़ने से नुकसान:

बीच चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के भाजपा में जाने की खबरों का कार्यकर्ताओं पर असर पड़ा। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और कांग्रेस के कुछ विधायकों सहित कई अन्य नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके चलते कार्यकर्ता भी खेमों में बंट गए। भाजपा के दबाव और लालच के कारण भी कई नेताओं ने पाला बदला।

हार के अन्य कारण:

पार्टी का जमीनी संगठन निष्क्रिय था और कार्यकर्ताओं में हताशा का भाव था। भाजपा का धनबल और संगठन कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा मजबूत था। कांग्रेस को कई स्तर पर बदलाव की जरूरत थी, लेकिन चुनाव के समय बदलाव से विवाद हो सकते थे। ऐसे में कमजोर संगठन के साथ ही आगे बढ़ना पटवारी की मजबूरी थी।


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