Jabalpur News: जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिये लोगों ने बढ़ाया प्रभावी कदम

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जल है तो कल है, जल है तो जीवन है के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने जल स्त्रोतों को स्वच्छ एवं अविरल बनाए रखने के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू किया है। यह अभियान 16 जून तक चलेगा, लेकिन जल स्रोतों के पुनर्जीवन व पर्यावरण संरक्षण के प्रयास सतत् प्रक्रिया हैं। इसी उद्देश्य से जिले में स्थित नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ियों तथा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए जिला प्रशासन, श्रम सेवी संगठन और जन अभियान परिषद की नवांकुर संस्थाओं के साथ आम जन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

आज जनपद पंचायत शहपुरा के ग्राम पंचायत भमकी में स्थित 102 साल पुराने ऐतिहासिक भमकी कुंड की सफाई कर जल स्रोत का उन्नयन किया गया। इस कार्य की अगुवाई क्षेत्रीय विधायक नीरज सिंह द्वारा की गई। कुंड में जमे गाद को हटाने के साथ साफ-सफाई का कार्य सामूहिक सहभागिता के साथ किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष आशा मुकेश गोंटिया, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जयति सिंह, जिला पंचायत व जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ सचिव जीआरएस, जन अभियान परिषद की नवांकुर संस्थाएं और स्थानीय लोग शामिल थे।

विधायक नीरज सिंह ने कहा कि भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए जल संरचनाओं के पुनर्जीवन व संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने जल की महत्ता बताते हुए कहा कि जल है तो जीवन है, जल है तो कल है। अतः जल के संरक्षण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के प्रयास से जिस प्रकार राधा कृष्ण बावड़ी को सुंदर जल मंदिर के रूप में विकसित किया गया है, वैसे ही सभी जल संरचनाओं का विकास होना चाहिए। 

विधायक ने लोगों से जल गंगा संवर्धन के लिए शपथ दिलाते हुए कहा कि सभी लोग जल के संवर्धन व संरक्षण के लिए सक्रिय सहभागिता दें और अपने आसपास जो भी स्थान उपलब्ध हो, वहां पौधारोपण करें। पेड़ पौधों की रक्षा व संरक्षण करें, पशु पक्षी व वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें, पॉलीथीन थैली का उपयोग न करें और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं।

इस अवसर पर चौपाल का भी आयोजन किया गया, जहां जल स्रोतों के संरक्षण व संवर्धन के संबंध में प्रेरणास्पद जानकारी दी गई। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने लेक मेन ऑफ इंडिया आनंद मल्लीगामड़ के प्रयासों से जल संकट से मुक्ति की अनोखी विचारधारा को सामने रखा। उन्होंने बताया कि उनकी विचारधारा से जिले में कई जगह लेगून सिस्टम से जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है और डिवाट स्ट्रक्चर निर्मित कराया गया है। इसका उपयोग अनुपयोगी पानी को फिल्टर करते हुए विभिन्न प्रकार से किया जा सकेगा, जैसे कि मवेशियों के लिए, खेतों में सिंचाई, वृक्षारोपण, स्नान, मछली पालन आदि।

Post a Comment

Previous Post Next Post