दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। पुलिस की सक्रियता केवल हेलमेट की चालानी कार्रवाई तक ही सीमित नजर आ रही है। जबकि, मोडीफाईड साइलेंसर लगाकर तेज आवाज में बाइक चलाना पूरी तरह से गैरकानूनी है, इस पर न तो ट्रैफिक पुलिस का ध्यान जा रहा है और न ही थाना पुलिस का।
दुर्घटना की संभावना बनी रहती है
मानक ध्वनि सीमा के साइलेंसर को कुछ असामाजिक तत्व बुलेट के साइलेंसर के साथ छेड़छाड़ कर उसे मॉडिफाई करते हैं। इससे साइलेंसर की ध्वनि तेज और कर्कश हो जाती है, और यह तेज गति से सड़क पर चलने पर दुर्घटना की संभावना को बढ़ा देता है।
शहर में एक भी बार नहीं हुई कार्रवाई
प्रदेश के छोटे जिलों जैसे, सतना, अनूपपुर, रीवा सहित अन्य जिलों में कर्कश आवाज के साथ चलने वाली बाइकों पर चालानी कार्रवाई करते हुए मॉडिफाईड साइलेंसरों को मौके पर ही निकलवाने का काम पुलिस कर रही है। लेकिन जबलपुर जैसे महानगर में एक भी बार ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे यहां मॉडिफाइड साइलेंसर वाली बुलेट और मोटरसाइकिलों का चलन बढ़ता जा रहा है।
ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने में अमादा बाइकर्स पर मेहरबान पुलिस
तेज आवाज के साथ सड़कों पर फर्राटा भरने वाले इनफील्ड (बुलेट) और मोटरसाइकिल चालक, जो मॉडिफाईड साइलेंसर लगाकर ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने में लगे हैं, उन पर ट्रैफिक पुलिस और थाना पुलिस मेहरबान है। सड़कों पर की जाने वाली कार्रवाई में पूरा अमला केवल हेलमेट की चालानी कार्रवाई में ही व्यस्त रहता है। पुलिस को न तो वाहन चलाते वक्त मोबाइल फोन पर बात करने वाले दिखाई देते हैं और न ही मॉडिफाईड साइलेंसर का इस्तेमाल कर वाहन चलाने वाले नजर आते हैं।
ध्वनि सीमा का उल्लंघन
ट्रैफिक के नियम स्पष्ट कहते हैं कि आबादी वाले क्षेत्र में बुलेट के साइलेंसर से निकलने वाली आवाज 55 से 60 डेसिबल तक सामान्य रहती है और किसी बाइक से निकलने वाली आवाज 60 डेसिबल से कम होनी चाहिए। जबलपुर में पुलिस की लापरवाही से इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिससे ध्वनि प्रदूषण और दुर्घटना की संभावना बढ़ रही है।