दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। बीना से विधायक निर्मला सप्रे इन दिनों अपनी राजनीतिक स्थिति को लेकर दो पाटों के बीच फंसी नजर आ रही हैं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद वे लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हो गईं। हालांकि, न तो उन्होंने बीजेपी की औपचारिक सदस्यता ली और न ही विधानसभा से इस्तीफा दिया।
बीना को जिला घोषित करने की मांग को लेकर उन्होंने सत्तारूढ़ दल बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ाई थीं। लेकिन सरकार द्वारा पुनर्गठन आयोग का गठन कर इस मुद्दे को टाल दिया गया। इससे न केवल स्थानीय बीजेपी नेताओं का विरोध बढ़ा है, बल्कि कांग्रेस ने भी उनके खिलाफ कड़े तेवर अपना लिए हैं।
कांग्रेस ने दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा में आवेदन दिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के आवेदन पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने नोटिस जारी किया है।
निर्मला सप्रे ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से अपना पक्ष रखने की बात कही है। विधानसभा सचिवालय ने इसे उनका अंतिम अवसर बताते हुए उन्हें जल्द से जल्द जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यदि शीतकालीन सत्र से पहले इस मामले का समाधान नहीं हुआ, तो वे अदालत का रुख करेंगे। दूसरी ओर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता, विशेषकर खुरई विधायक और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, कांग्रेस से आए नेताओं को पार्टी में स्वीकार करने के खिलाफ बयान दे चुके हैं।
अगले 7-8 दिनों में इस मामले में कोई बड़ा फैसला आने की संभावना है।