दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। आज सुबह-सुबह पराली जलाने पर एफआईआर दर्ज करने से नाराज किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और हाथों में पराली के गट्टे लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। कलेक्टर कार्यालय के गेट पर बैठकर किसान नारेबाजी करने लगे, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस ने कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट को छावनी बना दिया और कृषि अधिकारियों ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान नहीं माने।
कलेक्टर से सवाल- "पराली का क्या करें?"
किसानों ने कलेक्टर दीपक सक्सेना से सभाकक्ष में मुलाकात करते हुए पूछा, "प्रशासन हमें बताएं कि इस पराली का हम क्या करें, जिसको जलाने पर एफआईआर दर्ज हो रही है।" किसानों ने यह भी कहा कि वे सालभर खदानों और कारखानों से होने वाले प्रदूषण के मुकाबले केवल 15-20 दिनों तक पराली जलाते हैं, जबकि उसका प्रदूषण बहुत कम होता है। किसानों ने प्रशासन से मांग की कि पराली के निस्तारण के लिए दी जा रही सुविधाएं उनकी पहुंच में हों और प्रशासन उनकी मदद करे।
वन-टू-वन चर्चा में कलेक्टर से समाधान की मांग
कलेक्टर के साथ भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने वन-टू-वन संवाद किया। इस बैठक में अपर कलेक्टर मिशा सिंह और कृषि अधिकारी भी उपस्थित थे। किसानों ने कलेक्टर से पराली के समाधान के लिए प्रशासन से सहयोग की मांग की।