दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसमें एंबुलेंस चालक और निजी अस्पतालों का गठजोड़ गरीब मरीजों को लूटने का काम कर रहा है। डिंडोरी के निवासी खुशी टाम को विक्टोरिया अस्पताल में गंभीर हालत में लाया गया था, लेकिन अस्पताल द्वारा मेडिकल कॉलेज रेफर किए जाने के बावजूद 108 एंबुलेंस चालक ने उसे निजी अस्पताल मेडिजोन में भर्ती करवा दिया। इस घटना ने एंबुलेंस माफिया और निजी अस्पतालों के बीच चल रहे कमीशन के खेल को उजागर किया है।
चालक ने खुशी टाम के परिजनों को मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं के बारे में गलत जानकारी दी और उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती करने के लिए मजबूर किया। अस्पताल ने इलाज के नाम पर 50 हजार रुपये का बिल थमा दिया। यह सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि जबलपुर में स्वास्थ्य माफिया के बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, जो सरकारी अस्पतालों से रेफर मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराता है और इसके बदले कमीशन प्राप्त करता है।
सरकारी अस्पतालों से रेफर किए गए मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजने का यह खेल स्वास्थ्य माफिया द्वारा बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। यह माफिया गरीब मरीजों को झूठे दावों के माध्यम से निजी अस्पतालों तक पहुंचाता है, जहां उनका शोषण किया जाता है। यह खेल खासकर ग्रामीण इलाकों से आए मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।
मीडिया के दबाव के बाद जिला प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की है। अपर कलेक्टर नाथूराम गोडसे ने सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा को जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई सतही रही है, जिससे माफिया के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
यह घटना केवल एक मरीज के शोषण का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक भ्रष्टाचार व्याप्त है। प्रशासन को एंबुलेंस माफिया और निजी अस्पतालों के गठजोड़ पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।