दैनिक सांध्य बन्धु मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति गठबंधन को बंपर जीत मिली। बीजेपी 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे, जिनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था, ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने साफ किया कि बीजेपी जिसे भी मुख्यमंत्री बनाएगी, वो उसका समर्थन करेंगे।
बीजेपी को सरकार बनाने के लिए केवल 13 सीटों की जरूरत थी, जबकि अजित पवार के पास 41 विधायक थे। अजित पवार ने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का समर्थन कर बीजेपी को स्पष्ट बहुमत दिला दिया। इस स्थिति में शिंदे का दावा कमजोर पड़ गया क्योंकि उनके पास केवल 57 विधायक थे।
अजित पवार ने जल्द ही अपना समर्थन फडणवीस के नाम पर जता दिया। इससे बीजेपी के लिए सरकार बनाना आसान हो गया। हालांकि, बीजेपी ने शिंदे पर कोई दबाव नहीं बनाया और उनका निर्णय आने का इंतजार किया।
शिंदे के लिए यह फैसला आसान नहीं था। उन्होंने अपने विधायकों और समर्थकों को संतुष्ट करने की कोशिश की। लेकिन वह जानते थे कि बगावत करने पर उनकी शिवसेना कमजोर पड़ सकती है, जैसा कि उद्धव ठाकरे के मामले में हुआ था।
बीजेपी चाहती तो खुद मुख्यमंत्री का ऐलान कर सकती थी, लेकिन इससे उसकी छवि पर असर पड़ता। पार्टी ने 2019 के उद्धव ठाकरे प्रकरण जैसी स्थिति से बचने के लिए शिंदे को पहल करने का मौका दिया।
शिंदे ने समझदारी भरा कदम उठाते हुए बीजेपी के साथ रहना बेहतर समझा। उनकी पार्टी और विधायकों की एकजुटता बनाए रखना उनके लिए बड़ी चुनौती थी। सत्ता में भागीदारी बनाए रखने और अपनी स्थिति मजबूत रखने के लिए शिंदे ने सत्ता से ज्यादा स्थिरता को प्राथमिकता दी।