मंत्री सिंह ने बताया कि डामर की सप्लाई के लिए जीपीएस आधारित ई-लॉकिंग सिस्टम वाले टैंकरों का उपयोग किया जाएगा। इस सिस्टम से डामर की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता आएगी। रिफाइनरी से टैंकर लॉक होंगे और परिवहन रूट परिभाषित किए जाएंगे। संबंधित स्थल पर पहुंचने के बाद मोबाइल पर ओटीपी डालने के बाद ही टैंकर अनलॉक होगा।
इसके अलावा, डामर की सप्लाई के समय ठेकेदार के हॉटमिक्स प्लांट पर इंजीनियर द्वारा रिफाइनरी के पोर्टल से सप्लाई देयक की वेरीफिकेशन की जाएगी। मंत्री सिंह ने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक माह में 5 और 20 तारीख को मुख्य अभियंताओं के दल द्वारा निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। इस निरीक्षण का चयन रैंडम आधार पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी विभागीय अधिकारी या ठेकेदार निरीक्षण की योजना को पहले से न जान सके।
इसके साथ ही, निरीक्षण के दौरान सामग्री के सेंपल भी रैंडम आधार पर लिए जाएंगे और सील किए गए गोपनीय क्यूआर कोड के साथ प्रयोगशाला भेजे जाएंगे। परीक्षण की रिपोर्ट गोपनीय कोड के साथ सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जाएगी। मंत्री सिंह ने लोक निर्माण विभाग के दोनों प्रमुख अभियंताओं को भी जिलों का दौरा करने और निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
बैठक में ईएनसी केपीएस राणा, ईएनसी भवन बघेल सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।