दैनिक सांध्य बन्धु रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब कवासी लखमा तीसरी बार ईडी के दफ्तर में पूछताछ के लिए पहुंचे थे।
यह मामला भूपेश बघेल सरकार के दौरान का है, जब कवासी लखमा आबकारी मंत्री थे। ईडी के अनुसार, शराब बिक्री और वितरण में एक बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ, जिसमें अवैध सिंडिकेट द्वारा 2000 करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया गया। इसमें आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर की कथित संलिप्तता पाई गई।
कवासी लखमा, जो पहले से ईडी के रडार पर थे, को बुधवार को रायपुर स्थित ईडी के दफ्तर में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया। इससे पहले दिसंबर में ईडी ने उनके घर पर छापा मारा था और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए थे। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कवासी लखमा के खिलाफ ठोस सबूत मिले हैं।
ईडी ने कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा को दिसंबर में पूछताछ के लिए बुलाया था। यह तीसरी बार था जब कवासी लखमा को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पूछताछ के दौरान उनसे उनकी संपत्ति और दस्तावेजों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी गई थी।
ईडी ने कवासी लखमा को उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के साथ आने के लिए कहा था। हालांकि, लखमा ने ईडी को बताया कि उनके सीए किसी काम से बाहर गए हैं, इसलिए वह अकेले ही दफ्तर पहुंचे।
ईडी का दावा है कि यह घोटाला छत्तीसगढ़ में शराब की खरीद और बिक्री में एक संगठित सिंडिकेट द्वारा किया गया। इसमें सरकारी अधिकारियों और निजी कारोबारियों की मिलीभगत थी। यह सिंडिकेट शराब के करों में हेराफेरी और अवैध कमीशन से बड़ा आर्थिक नुकसान करने में संलिप्त था।
ईडी ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार में यह सिंडिकेट प्रभावी था और अनवर ढेबर, रायपुर के पूर्व मेयर एजाज ढेबर के भाई, इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे।
गिरफ्तारी के बाद कवासी लखमा ने कहा कि वह कानून का सम्मान करते हैं और जांच में पूरा सहयोग देंगे। उन्होंने दावा किया, “मैं अनपढ़ आदमी हूं। जहां अधिकारी कहते थे, वहां मैं साइन कर देता था। मुझे इस घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
इस मामले में अनवर ढेबर सहित कई आरोपी पहले से ही जेल में बंद हैं। ईडी का कहना है कि जांच के दौरान और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
कवासी लखमा की गिरफ्तारी ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्ष ने इसे कांग्रेस सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया है। वहीं, कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है।