दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से जुड़े 87 प्रकरणों की सुनवाई सोमवार को एक बार फिर टाल दी गई। मामले की अगली सुनवाई अब 28 जनवरी 2025 को होगी।
राज्य सरकार की उदासीनता पर सवाल
हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वह 20 जनवरी 2025 को होने वाली सुनवाई से पूर्व अपनी लिखित बहस दाखिल करे। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से समय पर लिखित बहस दाखिल नहीं की गई।
महाधिवक्ता कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में 69 ट्रांसफर याचिकाएं दाखिल कराई, जिनमें से 13 पर त्वरित सुनवाई कराकर सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति का आदेश प्राप्त कर लिया गया। इसके आधार पर हाईकोर्ट में प्रकरणों की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता ठाकुर ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
ओबीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के 27% आरक्षण कानून को स्थगित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने ओबीसी आरक्षण को सही ठहराया है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार इसे लागू करने में रुचि नहीं दिखा रही है।
भर्तियों पर असर, युवाओं का भविष्य अधर में
ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि महाधिवक्ता कार्यालय के गलत अभिमत के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने 87% और 13% के फॉर्मूले पर परिपत्र जारी किया है, जिससे लाखों युवाओं का भविष्य प्रभावित हुआ है। उन्होंने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश प्रकरणों की सुनवाई में बाधक नहीं है और मामले का जल्द निपटारा होना चाहिए।