दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जेल में बंद लोगों के चुनाव लड़ने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जेल में बंद सभी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। यह टिप्पणी दिल्ली दंगों के आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के मामले में हुई सुनवाई के दौरान की गई।
ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मंगलवार को मामले की सुनवाई तय की है।
4 साल 9 महीने से न्यायिक हिरासत में हैं ताहिर
ताहिर हुसैन को 4 साल 9 महीने से न्यायिक हिरासत में रखा गया है। उन पर फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान खुफिया ब्यूरो (IB) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोग घायल हुए थे।
ताहिर के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट ने पहले ही उन्हें नामांकन भरने के लिए कस्टडी पैरोल दी थी, जिसके तहत उन्होंने तिहाड़ जेल से बाहर आकर अपना नामांकन भरा।
दिल्ली दंगों में मुख्य आरोपी
दिल्ली पुलिस ने दंगों की चार्जशीट में ताहिर को मास्टरमाइंड बताया था। पुलिस के अनुसार, ताहिर ने अपने घर की छत से हिंसा भड़काई थी और दंगों में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का भी इस्तेमाल किया था। पुलिस का दावा है कि ताहिर ने दंगे से एक दिन पहले अपनी पिस्टल खजूरी खास पुलिस स्टेशन से निकलवाई थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ने और जीतने का चलन हो गया है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।" कोर्ट ने यह भी नोट किया कि ताहिर का नामांकन स्वीकार हो चुका है।
मामले में 114 गवाहों में से अब तक 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। अब मंगलवार को मामले की सुनवाई होगी।