दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में राज्य सरकार के रेत (खनन, परिवहन, भंडारण व व्यापार) नियमों के दो प्रावधानों को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया। इन प्रावधानों के तहत ठेकेदारी अवधि के दौरान बिना खनन किए भी फिक्स रॉयल्टी वसूली जा रही थी।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने इस नियम को माइन एंड मिनरल डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन (एमएमडीआर) एक्ट 1957 की धारा 15(3) के खिलाफ मानते हुए इसे असंवैधानिक घोषित किया। यह आदेश नर्मदापुरम जिले के एक रेत ठेकेदार की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।
क्या था मामला?
माइनिंग विभाग ने नर्मदापुरम में 118 खदानों के लिए रेत खनन की निविदा निकाली थी, जिसमें ठेकेदार को 2021 से 2023 तक खनन की अनुमति दी गई थी। शुरुआत में तिमाही आधार पर भुगतान का नियम था, जिसे बाद में 12 किश्तों में बदल दिया गया। पर्यावरण स्वीकृति न मिलने के कारण याचिकाकर्ता कुछ खदानों से खनन नहीं कर पाया, लेकिन विभाग ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर ठेका निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि फिक्स रॉयल्टी नियम असंवैधानिक है, इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी किए गए नोटिस और वसूली को रद्द किया जाता है। हालांकि, माइनिंग विभाग को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह वास्तविक खनन किए गए रेत के आधार पर नए सिरे से मांग पत्र जारी कर सकता है।