दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। करोड़ों रुपये मूल्य की एक हेक्टेयर जमीन फर्जी वसीयत के जरिए हड़पने के मामले में फरार चल रहे 5,000 रुपये के इनामी पटवारी जागेंद्र पिपरे ने आखिरकार न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने उसे एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा, जिसके बाद शुक्रवार को दोबारा पेश कर उसे जेल भेज दिया गया।
कैसे हुआ जमीन हड़पने का खेल?
मॉडल टाउन निवासी शिवचरण पांडे के पिता महावीर पांडे के नाम जबलपुर के रंगवां क्षेत्र में एक हेक्टेयर जमीन थी। महावीर की मृत्यु के बाद शिवचरण का नाम भूमि दस्तावेजों में दर्ज किया गया था। लेकिन 8 अगस्त 2023 को अचानक उनका नाम खसरे से हटा दिया गया।
जब शिवचरण ने इसकी शिकायत की, तो जांच में बड़ा षड्यंत्र सामने आया। तहसील कार्यालय में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे, तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जागेंद्र पिपरे ने मिलकर फर्जीवाड़ा किया। दीपा ने अपने पिता श्यामनारायण (जो कलेक्ट्रेट में ड्राइवर थे) के नाम पर महावीर की फर्जी वसीयत तैयार कराई।
गिरोह ने कैसे किया जमीन का सौदा?
श्यामनारायण की मृत्यु के बाद 26 जून 2024 को तहसीलदार कार्यालय से आदेश पारित कर जमीन को दीपा के भाई रविशंकर और तहसील कार्यालय में सहायक ग्रेड-3 पर पदस्थ अजय चौबे के नाम दर्ज करा दिया। बाद में इस जमीन को करमेता निवासी हर्ष पटेल और विजय नगर की अमिता पाठक को बेच दिया गया।
पुलिस ने दर्ज किया केस
विजय नगर पुलिस ने तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे, पटवारी जागेंद्र पिपरे, कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे, उसके भाई रविशंकर, अजय चौबे और जमीन के खरीदार हर्ष पटेल व अमिता पाठक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, और न्यायिक प्रक्रिया जारी है।