दैनिक सांध्य बन्धु ग्वालियर। रोजी-रोटी की तलाश में भारत आए नेपाल के दो नागरिक अब अपने देश लौटना चाहते हैं, लेकिन कानूनी अड़चनें उनके घर वापसी में बाधा बन रही हैं। तीन साल पहले ट्रेन हादसे में अपनी याददाश्त खो चुके गोपाल डूमरे और एक अन्य दुर्घटना में बचे चक्र बहादुर को अब तक नेपाल जाने की अनुमति नहीं मिल पाई है।
नेपाल के रहने वाले गोपाल डूमरे साल 2022 में काम के सिलसिले में भारत आए थे। लेकिन 7 मार्च 2022 को बानमोर के पास एक रेलवे ट्रैक पर उन्हें गंभीर हालत में पाया गया। हादसे के बाद उनकी याददाश्त चली गई थी। इलाज के बाद उन्हें ग्वालियर के स्वर्ग सदन में रखा गया, जहां एक साल की देखभाल और निरंतर काउंसलिंग के बाद उनकी याददाश्त लौटी और उन्होंने अपने परिवार का पता बताया।
अब जब गोपाल अपने घर लौटने को तैयार हैं, तो सरकारी अनुमति की जरूरत पड़ रही है। स्वर्ग सदन के संचालक विकास गोस्वामी ने बताया कि विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
नेपाल के ही 20 वर्षीय चक्र बहादुर भी भारत में लावारिस हालत में मिले थे। 20 अगस्त 2024 को उन्हें स्वर्ग सदन भेजा गया। हादसे में बचने के बाद वह किसी तरह यहां तक पहुंचे, लेकिन अब अपने माता-पिता से मिलने के लिए सरकारी अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। हर दिन वह उम्मीद से बैठते हैं कि कोई खुशखबरी आएगी, लेकिन अब तक उन्हें घर भेजने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
गोपाल और चक्र बहादुर की पहचान सुनिश्चित करने के लिए काउंसलिंग में भाषा समझने वाले राजू गुरंग ने मदद की। गोपाल ने नेपाल में अपने घर का पता भी बताया, लेकिन अब तक सरकार ने उनकी सुध नहीं ली है। फिलहाल, वह ऑनलाइन ही अपने परिवार से बातचीत कर रहे हैं और नेपाल लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
नेपाल और भारत के बीच सीमा संबंधी औपचारिकताओं के कारण इन मजदूरों की घर वापसी रुकी हुई है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन की अपील के बावजूद, अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।