दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। भाजपा में इन दिनों अंदरूनी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में सर्किट हाउस नंबर 1 में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह द्वारा शहर विकास कार्यों को लेकर एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना, नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव सहित सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। हालाकि, इस बैठक में शहर के महापौर जगत बहादुर सिंह अब्बू की गैरमौजूदगी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और अब यह समीक्षा बैठक चर्चा का विषय बन गई है।
गुटबाजी के चलते महापौर को एमआईसी पूर्ण करने में भी हो रहीं परेशानियां
यह पहली बार नहीं है जब मंत्री राकेश सिंह द्वारा शहर विकास को लेकर बुलाई गई निगम अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक में महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू अनुपस्थित रहे हो। इससे पहले भी दो अन्य बैठकों में उनकी गैरमौजूदगी देखी गई थी। जब पत्रकारों ने इस विषय पर उनसे सवाल किया, तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि वह शहर में मौजूद नहीं थे। गौरतलब है कि महापौर फरवरी 2024 में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्होंने दावा किया था कि वे शहर के विकास के लिए भाजपा में आए हैं। लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद भी वे अपनी महापौर परिषद (एमआईसी) पूरी नहीं बना पाए हैं और अभी तक उनकी (एमआईसी) में केवल 5 सदस्य ही है जबकि नियमानुसार 10 सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं। यह नगर निगम के इतिहास में पहली बार हुआ है कि महापौर के पास पूर्ण परिषद नहीं है।
विपक्ष ने भाजपा पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा का कहना है कि जहाँ वित्तीय संकट के चलते नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव ने शहर में चल रहे सभी विकास कार्यों पर रोक लगा दी है, वही महापौर करोड़ों के विकास कार्यों का भूमि पूजन कर वाह-वही लुट रहे है और अब महापौर और मंत्री के बीच की आपसी तनातनी का खामियाजा भी शहर की जनता को हो भुगतना पड़ेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस अंदरूनी कलह को कैसे सुलझाती है और क्या जबलपुर के विकास कार्य फिर से पटरी पर लौटते हैं या नहीं।
महापौर और मंत्री राकेश सिंह के बीच राजनीतिक टकराव
सूत्रों की मानें तो महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू और लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के बीच राजनीतिक टकराव चल रहा है। कहा जा रहा है कि राकेश सिंह, महापौर को पसंद नहीं करते हैं और कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
सत्ता पक्ष की गुटबाजी से ठप पड़े विकास कार्य : मुकेश राठौर
मुकेश राठौर, जो तीन बार नगर निगम के निर्वाचित सदस्य रह चुके हैं, का कहना है कि पहले नगर निगम में सभी पार्षद, चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, एकजुट होकर काम करते थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। वर्तमान में सत्ता पक्ष के भीतर गुटबाजी इस कदर हावी हो गई है कि इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।