दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। भोपाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर के बीच गहरी साझेदारी थी, जिसे जबलपुर के बिल्डर रोहित तिवारी ने जोड़ने का काम किया। ईडी की पूछताछ के बाद मंगलवार को तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सौरभ, शरद और रोहित का गठजोड़ कैसे बना?
ईडी की जांच के मुताबिक, 2014-15 में भोपाल की एक फर्म ने जबलपुर में कॉलोनी प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें शरद जायसवाल ने कई प्लॉट बेचे। इसी दौरान वह रोहित तिवारी के संपर्क में आया।
2016 में सौरभ ने प्रॉपर्टी डीलिंग फर्म छोड़ी और रोहित के लिए इन्वेस्टर तलाशने लगा। इसी दौरान फगीटो रेस्टोरेंट शुरू किया और रोहित ने शरद और सौरभ को मिलाया। इसके बाद शरद की मदद से सौरभ ने भोपाल और इंदौर में कई संपत्तियां खरीदीं।
खुद को RTO अधिकारी बताकर जमाया रौब
ईडी की पूछताछ में शरद ने खुलासा किया कि सौरभ खुद को RTO अधिकारी बताता था। उसने रोहित तिवारी के नाम पर अरेरा कॉलोनी में बंगला खरीदा, जिसका रिनोवेशन शरद को दिया गया। यहीं से दोनों की दोस्ती गहरी हुई।
सौरभ ने शरद को कंस्ट्रक्शन के बड़े ठेके लेने के लिए उकसाया और पैसे की जरूरत पड़ने पर मदद का भरोसा दिया। धीरे-धीरे उसने शरद को होटल की देखरेख भी सौंप दी।
अविरल कंस्ट्रक्शन कंपनी में शरद-चेतन बने पार्टनर
सौरभ ने अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया, जिसमें शरद और चेतन सिंह गौर को बराबरी का हिस्सेदार बनाया। यही वह कंपनी थी, जिससे करोड़ों का कंस्ट्रक्शन बिजनेस हुआ।
ईडी ने कोर्ट में पेश किया, 14 दिन की जेल
ईडी की पूछताछ पूरी होने के बाद मंगलवार को सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अब ईडी इनकी संपत्तियों और लेन-देन की जांच कर रही है। संभावना है कि जल्द ही इस मामले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।