दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड (यूका) के 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने इसके निस्तारण के लिए ट्रायल रन की अनुमति दी है, जो तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 27 फरवरी को 10 टन कचरा जलाया जाएगा, उसके बाद 4 मार्च और फिर तीसरे चरण में 10-10 टन कचरा जलाया जाएगा। परीक्षण रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाएगी और उसके आधार पर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि कचरा पीथमपुर में ही क्यों जलाया जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 2015 में भी 10 टन कचरा जलाया गया था, जिससे भूजल प्रदूषित हो गया था। हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि जब कचरे के निपटान पर कोई रोक नहीं है और कचरा पहले ही वहां पहुंच चुका है, तो इसके विनष्टीकरण में देरी क्यों हो रही है?
इस फैसले के विरोध में धार जिले के जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार कर दिया। उनका कहना है कि प्रशासन बिना जनसहमति के कचरे के निपटान की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है। आंदोलनकारी संदीप रघुवंशी ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और उन्हें वहां से स्टे मिलने की उम्मीद है।
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने कोर्ट में अनुपालन हलफनामा देते हुए कहा कि सरकार हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन कर रही है और सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए कचरे के निपटान की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। परीक्षणों के परिणामों के आधार पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन किया जाएगा और 27 मार्च को हाईकोर्ट में दिशा-निर्देश पेश किए जाएंगे।