Jabalpur News: संत रविदास जयंती पर हुए विभिन्न आयोजन

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। संत रविदास जयंती के अवसर पर शहर में भव्य आयोजन किए गए। कहीं शोभायात्रा निकाली गई, तो कहीं भंडारे और पूजन-पाठ का आयोजन हुआ। ग्वारीघाट में पहुंचने के लिए अलग-अलग टोलियां निकलीं। कई संगठनों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

समरसता सेवा संगठन द्वारा संत रविदास के जीवन और उनके विचारों को लेकर आर्य समाज भवन में एक विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीनिवास राव (उपाध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा मंडल), मुख्य वक्ता डॉ. राजलक्ष्मी त्रिपाठी (प्राचार्य, फाइन आर्ट कॉलेज), सारस्वत अतिथि प्रो. शिवकुमार व्यास, और विशिष्ट अतिथि युवराज आचार्य (अध्यक्ष, विश्व वैदिक फाउंडेशन, नेपाल) थे।

समारोह में समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन ने संत रविदास के सामाजिक समरसता के विचारों पर प्रकाश डाला। श्रीनिवास राव ने कहा कि संत रविदास 15वीं शताब्दी में ऊंच-नीच का भेद मिटाकर समाज में समानता लाने का प्रयास कर रहे थे। डॉ. राजलक्ष्मी त्रिपाठी ने उनके प्रसिद्ध कथन "मन चंगा तो कठौती में गंगा" को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता बताई।

समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले हुए सम्मानित

इस अवसर पर समाज में विशिष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वालों में श्यामलाल अहिरवार, एलएन चौधरी, शंकरलाल अहिरवार, विहारीलाल सोनारिया, रोशनलाल चौधरी, लखन अहिरवार, विजय कुरील, गोपीचंद सेठजी, विनोद चौचरी, मनोज मास्टर, पंकज प्रवीण, डॉ. तुलाराम लड़ैया, शंकर चौधरी, आशीष चौधरी, राजेंद्र चौधरी, मूलचंद्र मौरे शामिल थे।

शहर में निकली भव्य शोभायात्रा, झांकियों ने मोहा मन

गुरु रविदास धाम ग्वारीघाट के तत्वावधान में भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो दोपहर में डॉ. अम्बेडकर चौक से शुरू हुई। एड एनसी कुरील (स्थायी संरक्षक) ने हरी झंडी दिखाकर यात्रा का शुभारंभ किया।

शोभायात्रा में 100 से अधिक झांकियां और संत रविदास के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों की झलकियां देखने को मिलीं। यात्रा छोटी ओमती, गुरंदी बाजार, गलगला चौक, मुकादमगंज, तुलाराम चौक, करमचंद चौक, मालवीय चौक, तीन पत्ती, शास्त्री ब्रिज, गोरखपुर और रामपुर होते हुए ग्वारीघाट पहुंची।

विशाल भंडारे में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

ग्वारीघाट में शोभायात्रा के समापन के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

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