दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर जिला अस्पताल में एक युवक फर्जी डिग्री के आधार पर चिकित्सा अधिकारी बनकर मरीजों का इलाज करता रहा। करीब एक साल तक उसने सरकारी डॉक्टर के तौर पर काम किया और वेतन भी लिया। मामला सामने आने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
शुभम अवस्थी नामक युवक ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से फर्जी BAMS (आयुर्वेद स्नातक) डिग्री तैयार करवाई और झूठा दावा किया कि उसने शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, जबलपुर से पढ़ाई की है। इसके बाद, उसने मध्य प्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा बोर्ड, भोपाल में किसी और के नाम पर पहले से मौजूद पंजीयन क्रमांक (56970) का इस्तेमाल करके खुद को डॉक्टर साबित कर दिया।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शुभम अवस्थी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को गुमराह कर आयुष चिकित्सक की नौकरी हासिल कर ली। इसके बाद वह जबलपुर जिला अस्पताल में एक साल तक मरीजों का इलाज करता रहा, जबकि वह असली डॉक्टर नहीं था।
पुलिस ने नहीं की कार्रवाई, कोर्ट ने दिया FIR का आदेश
इस फर्जीवाड़े की शिकायत शैलेन्द्र बारी नामक व्यक्ति ने पुलिस से की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) पलक श्रीवास्तव ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिया। शुभम अवस्थी के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश जैसी धाराओं में केस दर्ज करने को कहा गया है।
हाईकोर्ट के दखल के बाद तेज हुई जांच
पुलिस की लापरवाही को देखते हुए याचिकाकर्ता ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जिला अदालत इस मामले पर 60 दिनों के भीतर फैसला सुनाए। इसके बाद, कोर्ट ने पुलिस को 5 अप्रैल तक पूरी जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
अब देखना होगा कि इस फर्जी डॉक्टर के खिलाफ पुलिस क्या कार्रवाई करती है और क्या अन्य अधिकारियों की भी इस मामले में संलिप्तता सामने आती है।