दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। कांग्रेस अब जिला संगठन को मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी कड़ी में 3 अप्रैल को दिल्ली में मध्य प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों की बैठक होगी। इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल शामिल होंगे। बैठक में जिलाध्यक्षों के कामकाज की समीक्षा की जाएगी और संगठन को मजबूत करने पर मंथन होगा।
जिलाध्यक्षों को मिलेंगे टिकट बांटने के अधिकार
कांग्रेस संगठन इस बात पर जोर दे रहा है कि जिला अध्यक्षों को अधिक अधिकार दिए जाएं ताकि वे अपने जिले में संगठनात्मक फैसलों में अहम भूमिका निभा सकें। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने पार्षद से लेकर सांसद तक के टिकट वितरण में जिला अध्यक्षों की भूमिका को अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है। चुनाव समिति की बैठकों में भी जिला अध्यक्षों की राय को प्राथमिकता दी जाएगी।
दिल्ली में बैठक, अहमदाबाद में मिलेगी अंतिम मंजूरी
दिल्ली में 3 अप्रैल को होने वाली इस बैठक में जिला अध्यक्षों की भूमिका को और प्रभावी बनाने पर चर्चा होगी। इसके बाद 9 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में इस प्रस्ताव को पास किया जाएगा।
बैठक की जरूरत क्यों पड़ी?
मध्य प्रदेश कांग्रेस पिछले चार चुनावों से हार रही है। 2018 में सरकार बनने के बावजूद दल-बदल के कारण सरकार गिर गई। इससे कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को चुनावी नुकसान झेलना पड़ा। अब कांग्रेस संगठन को जिलाध्यक्ष केंद्रित बनाना चाहती है ताकि जिले के संगठनात्मक फैसले जिलाध्यक्ष ले सकें।
वर्तमान में कांग्रेस जिलाध्यक्षों के अधिकार
जिले की कार्यकारिणी का गठन करना।
मोर्चा, संगठन का गठन और समन्वय।
सदस्यता अभियान चलाना और रिपोर्ट प्रदेश को भेजना।
जिले की समन्वय समिति बनाकर काम कराना।
राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कार्यक्रम आयोजित करना।
सामाजिक कार्यों में भागीदारी।
नए अधिकारों का सुझाव
जिलाध्यक्षों को स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार मिले।
टिकट वितरण में उनकी राय अहम हो।
पार्टी कार्यालय हर जिले में स्थापित हो।
जिलाध्यक्षों का सीधा संपर्क एआईसीसी से हो।
संगठनात्मक नियुक्तियों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो।
चुनाव लड़ने के इच्छुक जिलाध्यक्षों को दो साल पहले पद छोड़ना होगा।
अन्य राज्यों के जिलाध्यक्ष भी होंगे शामिल
मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली के जिला अध्यक्षों की बैठक होगी।
बैठक में इन मुद्दों पर भी चर्चा होगी
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए नई गाइडलाइन।
उम्र सीमा 50 साल तय करने का प्रस्ताव।
10-15 साल का पार्टी अनुभव आवश्यक।
सोशल मीडिया पर सक्रिय और तकनीक-फ्रेंडली होना जरूरी।
कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने की क्षमता हो।
जूम मीटिंग में एजेंडा साझा किया गया
हाल ही में एमपी कांग्रेस संगठन ने जूम मीटिंग आयोजित कर बैठक का एजेंडा साझा किया। इसमें जिलाध्यक्षों से संगठनात्मक जानकारी लाने के निर्देश दिए गए, जैसे:
जिले में विधानसभा, मंडलम, सेक्टर और बूथ की संख्या।
पिछले चुनावों में कांग्रेस की स्थिति।
कांग्रेस की संपत्तियों की जानकारी।
इस बैठक के बाद कांग्रेस संगठनात्मक रूप से अधिक मजबूत बनने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।