Jabalpur News: हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ को ठहराया अयोग्य

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड को एक और बड़ा झटका लगा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने पूर्व सीईओ मोहम्मद अहमद खान की नियुक्ति को अवैधानिक ठहराते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश की पुष्टि कर दी है। इस निर्णय के बाद वक्फ बोर्ड के कई फैसलों और नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

फरहत सराय जामा मस्जिद हरदा मामला फिर सुर्खियों में

यह मामला वक्फ जामा मस्जिद फरहत सराय, हरदा से जुड़ा है। पूर्व में हाईकोर्ट ने 1945 के वक्फनामा के अनुसार इंतेजामिया कमेटी के चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसी के तहत वक्फ बोर्ड ने 19 जुलाई 2023 को दिलीप खान को कार्यपालन अधिकारी नियुक्त किया था। इस नियुक्ति को वक्फ फरहत सराय जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष याहया खान ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 14 सितंबर 2023 को आदेश पारित कर मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा की गई यह नियुक्ति निरस्त कर दी थी।

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व सीईओ की नियुक्ति को माना अवैध

हाईकोर्ट ने सिर्फ दिलीप खान की नियुक्ति ही नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ मोहम्मद अहमद खान की नियुक्ति को भी अवैध करार दिया। सिंगल बेंच के इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने डिवीज़न बेंच में अपील दायर की थी। अब डिवीज़न बेंच ने भी सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए मोहम्मद अहमद खान को अयोग्य ठहरा दिया है और उनके द्वारा पारित किए गए सभी आदेशों को नियम विरुद्ध माना है।

28 साल में 28 सीईओ, 6 बार नियुक्त हुए थे मोहम्मद अहमद खान

मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार, 23 जुलाई 1997 से अब तक 28 वर्षों में 28 मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इनमें सबसे ज्यादा 6 बार मोहम्मद अहमद खान को इस पद पर नियुक्त किया गया था। अब हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उनकी नियुक्तियों और उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर संकट खड़ा हो गया है।

कानूनी लड़ाई में वक्फ बोर्ड को झटका

इस मामले में वक्फ फरहत सराय कमेटी, हरदा के तत्कालीन अध्यक्ष की ओर से अधिवक्ता तकमील नासिर ने पैरवी की, जबकि मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता मुकेश अग्रवाल ने दलीलें पेश कीं। लेकिन हाईकोर्ट की डिवीज़न बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले की पुष्टि करते हुए वक्फ बोर्ड की अपील को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं और आने वाले दिनों में इसके प्रभाव व्यापक रूप से देखने को मिल सकते हैं।

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