Indore News: दुर्लभ स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम से युवती की मौत, परिजनों का आरोप - शुजालपुर में नहीं हुआ उचित उपचार

दैनिक सांध्य बन्धु इंदौर। इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में दुर्लभ और गंभीर स्किन डिसीज स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम (SJS) से पीड़ित 22 वर्षीय युवती रितिका मीणा का बुधवार को निधन हो गया। यह बीमारी अत्यंत दुर्लभ होती है और प्रति 10 लाख लोगों में से सिर्फ 1-2 को ही प्रभावित करती है।

शुजालपुर में नहीं मिला सही इलाज, आरोप परिजनों का

रितिका के परिवार ने आरोप लगाया कि बीमारी की शुरुआत में शुजालपुर में उचित उपचार नहीं मिला, जिससे उसकी हालत बिगड़ती चली गई। पहले उसे स्किन पर जलन और फफोले होने लगे थे, जिसके बाद स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया गया, लेकिन दवाओं से कोई फायदा नहीं हुआ।

बाद में 8 फरवरी को उसे इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम की पुष्टि की। 14 फरवरी को छुट्टी मिलने के बाद उसकी तबीयत फिर से बिगड़ गई और 26 फरवरी को दोबारा अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।

डॉक्टरों की टीम ने की बचाने की कोशिश

रितिका का इलाज डॉ. मनीष जैन (आईसीयू), डॉ. अविनाश जैन (पल्मोनोलॉजिस्ट), डॉ. अंकेश गुप्ता (इंफेक्शियस डिजीज एक्सपर्ट), डॉ. योगेश टटवाडे (प्लास्टिक सर्जन) और डॉ. विनय वोरा (हेमेटोलॉजिस्ट) की टीम कर रही थी। स्किन का छिलना, छाले और शरीर पर घाव जैसी समस्याओं के कारण उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती गई और अंततः उसे बचाया नहीं जा सका।

स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम क्या है?

यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्किन रिएक्शन है, जो आमतौर पर कुछ दवाओं के एलर्जिक रिएक्शन से होता है। इसमें स्किन पर चकते, फफोले और छाले पड़ने लगते हैं, जिससे त्वचा छिलने लगती है। इसके लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसे होते हैं, जिनमें बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द और खांसी शामिल हैं।

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती किया जाता है।

स्किन की बायोप्सी और मेडिकल हिस्ट्री की जांच की जाती है।

IV फ्लूइड, दर्द निवारक दवाएं और संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।

स्किन के घावों पर ठंडी सिकाई, क्रीम और पट्टियां लगाई जाती हैं।

गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी या हाई डोज स्टेरॉयड दिए जाते हैं।

सावधानी बरतना क्यों जरूरी?

अगर किसी को किसी दवा से एलर्जिक रिएक्शन होता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और दवा बंद कर देनी चाहिए। समय पर सही पहचान और उचित इलाज से इस गंभीर स्थिति को रोका जा सकता है।

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