दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। हाई कोर्ट ने एक दुष्कर्म के मामले में आरोपी युवक की मां को भी सह-आरोपी मानते हुए मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि दुष्कर्म के लिए उकसाने वाले व्यक्ति को भी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
पीड़िता ने भोपाल के छोला मंदिर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पड़ोसी युवक ने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उसने स्वीकार कर लिया। बाद में जब वह आरोपी युवक की मां और भाई से शादी की बात करने गई, तो उन्होंने उसे जबरन आरोपी के साथ कमरे में भेज दिया और दरवाजा बंद कर दिया। इस दौरान आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसके बाद दोनों की सगाई हो गई। अगले दिन पीड़िता फिर आरोपी के घर गई और आरोपी की मां व भाई को घटना के बारे में बताया। इस पर उन्होंने कहा कि "आजकल शादी से पहले संबंध बनाना आम बात है।" इसके बाद उन्होंने फिर से पीड़िता को आरोपी के साथ कमरे में भेज दिया, जहां आरोपी ने दोबारा उससे दुष्कर्म किया।
बाद में पीड़िता की मां का कैंसर के कारण निधन हो गया, तो आरोपी की मां और भाई ने शादी से इनकार कर दिया। इस पर पीड़िता ने आरोपी, उसकी मां और भाई के खिलाफ मामला दर्ज कराया।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था, जिसे आरोपियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए आरोपी की मां को भी सह-आरोपी ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उकसाने वाली महिला भी अपराध के लिए उत्तरदायी हो सकती है। राज्य शासन की ओर से इस मामले में शासकीय अधिवक्ता सी.एम. तिवारी ने पक्ष रखा।