Jabalpur News: आदिवासी जमीनों पर रसूखदारों की नजर...!, कब होगी कार्रवाई?

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जिले के एटा खेड़ा, सीवनी टोला, चरगवां, मुकुनवारा, तिलवारा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आदिवासी जमीनों का बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। यह घोटाला सिर्फ पत्रकार गंगा पाठक तक सीमित नहीं है, बल्कि कई रसूखदारों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आदिवासी जमीनों को गैरकानूनी तरीके से अपने नौकरों या परिजनों के नाम करवा लिया है या अधिक मुनाफे में दूसरों को बेच दिया गया है, सरकार द्वारा आदिवासी जमीनों की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जैसे कि पंचायती राज अधिनियम (PESA Act) और अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम (FRA Act), जो आदिवासियों की भूमि को गैर-आदिवासियों को बेचने से रोकते हैं। लेकिन रसूखदार लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर, कानूनी प्रक्रियाओं में हेरफेर कर आदिवासी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। 

सूत्रों के अनुसार, इन क्षेत्रों में रसूखदारों के एजेंट गांव-गांव जाकर आदिवासियों को पैसों का लालच देकर बेहद सस्ते दामों में उनकी जमीन खरीदते हैं। इसके बाद, अधिकारियों को रिश्वत खिलाकर जमीन को सामान्य जाति में परिवर्तन कराकर अपने लोगों के नाम करवा लिया जाता है। अगर 2006 से अब तक हुई आदिवासी जमीनों की खरीद-फरोख्त की जांच की जाए, तो सैकड़ों एकड़ जमीन के घोटाले का खुलासा हो सकता है। 

एक आदिवासी समुदाय के मुखिया ने प्रशासन से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग को है उन्होंने बताया कि इस गोरखधंधे को बेनकाब करने के लिए पूर्व में कलेक्टर छवि भारतद्वाज को आवेदन सौंपा था और मांग की थी कि आदिवासी जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त की गहन जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।अब देखना होगा कि प्रशासन इस बड़े घोटाले पर क्या कदम उठाता है। क्या रसूखदारों के खिलाफ जांच होगी या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा....? 

पं. अतुल नरेश बाजपेयी , प्रधान संपादक

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