दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। ऑडिट विभाग में पदस्थ बाबू संदीप शर्मा ने सैलरी सॉफ्टवेयर में हेरफेर कर 7 करोड़ रुपए से अधिक का गबन किया। हाईकोर्ट का फर्जी आदेश लगाकर भी उसने सरकारी धन का गबन किया। इस मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने संदीप समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिस के पहुंचने से पहले फरार हुआ संदीप
सूत्रों के मुताबिक, संदीप ग्वारीघाट स्थित सुखसागर वैली में अपनी बहन के घर छिपा हुआ था। पुलिस को जब इसकी भनक लगी और दबिश दी गई, तब तक वह वहां से फरार हो चुका था। बताया जा रहा है कि वह जबलपुर रेलवे स्टेशन से किसी अज्ञात स्थान के लिए निकल गया।
पत्र में आत्महत्या की बात लिखी
सोशल मीडिया पर संदीप के नाम से एक पत्र सामने आया है, जिसमें उसने खुद को गबन का दोषी बताते हुए आत्महत्या करने की बात लिखी है। पत्र में लिखा है,
"मैं संदीप शर्मा, पूरे होश में यह पत्र लिख रहा हूं। मैंने पासवर्ड और आईडी का गलत उपयोग कर घोटाला किया। यह गलती मेरी थी, इसका दोषी कोई और नहीं है। अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा, इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।"
2021 से शुरू हुआ था घोटाला
संदीप शर्मा को 2012 में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। 2021 में उसने इस घोटाले की शुरुआत की और चार साल के भीतर 7 करोड़ से अधिक की हेराफेरी कर डाली। जिन वेतन बिलों में गड़बड़ी हुई, उन पर फाइनल टीप संयुक्त संचालक मनोज बरहैया की होती थी, लेकिन उन्होंने कभी इसे चेक नहीं किया।
जांच दल की रिपोर्ट
जबलपुर पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है, वहीं भोपाल से उच्च स्तरीय जांच दल जबलपुर पहुंच चुका है। इस घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संचालक अमित सिंह ठाकुर और सहायक संचालक सुरभित अग्रवाल को जिम्मेदारी दी गई है।
अब उत्तर प्रदेश में तलाश
पुलिस को शक है कि संदीप उत्तर प्रदेश भाग गया है। अब एक टीम यूपी में संभावित ठिकानों पर दबिश देने की तैयारी कर रही है। साथ ही, भोपाल के नगर कोषालय की भी जांच होगी, जिससे घोटाले की राशि और बढ़ने की संभावना है।