दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट बुधवार को विधानसभा में पेश किया गया। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया, जिसे अब तक का सबसे बड़ा बजट बताया जा रहा है। सरकार ने इस बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाया, जिसे राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, बजट पर राजनीतिक दलों और विभिन्न संगठनों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
भाजपा ने बजट को ऐतिहासिक बताया
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह लोक कल्याण और विकास को समर्पित है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेशभर में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, जिससे आमजन को लाभ मिलेगा।
केंट विधायक ईश्वरदास रोहाणी ने इसे "सर्वहारा वर्ग का बजट" बताया और कहा कि इसमें युवा, गरीब, किसान और महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जबलपुर के सांसद आशीष दुबे ने भी इसे "सर्वहितकारी बजट" करार देते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर और विकसित मध्य प्रदेश की दिशा में एक और मजबूत कदम है।
कांग्रेस ने बताया कागजी जुमलों का पुलिंदा
वहीं, कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने इस बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह नौजवानों, किसानों, मजदूरों, छात्रों, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों की उपेक्षा करने वाला बजट है। उन्होंने कहा कि इसमें विकास, औद्योगिकीकरण और शिक्षा के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है, जिससे साफ है कि यह सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए पेश किया गया है।
व्यापारिक संगठनों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने इसे संतुलित बजट बताया, लेकिन जबलपुर के औद्योगिक विकास के लिए किसी ठोस घोषणा के न होने पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि भोपाल और इंदौर के लिए मेट्रो ट्रेन की घोषणा हुई, लेकिन जबलपुर को नजरअंदाज कर दिया गया।
केट (CAIT) के प्रदेश सचिव दीपक सेठी ने भी जबलपुर और महाकौशल क्षेत्र को बजट में प्राथमिकता न देने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि टूरिज्म हब बनने की क्षमता रखने के बावजूद सरकार ने जबलपुर में फिल्म सिटी या अन्य पर्यटन संबंधी योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया।
किसानों के लिए राहत नाकाफी: कृषक समाज
मध्य प्रदेश कृषक समाज के प्रांत अध्यक्ष इंजीनियर के.के. अग्रवाल ने कहा कि बजट में कुल 15% की वृद्धि हुई है, लेकिन किसानों के हिस्से में केवल 3% की बढ़ोतरी आई है। उन्होंने इसे 60% ग्रामीण आबादी के लिए अपर्याप्त बताया और सरकार से किसानों के लिए अधिक प्रावधान करने की मांग की।