दैनिक सांध्य बन्धु नर्मदापुरम। हिल स्टेशन पचमढ़ी में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। रविवार रात दफाई मोहल्ले में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला शमीम बेगम पर एक बंदर ने अचानक हमला कर दिया। वह घर के बाहर नमाज पढ़ रही थीं, तभी बंदर ने उनके दोनों पैरों को बुरी तरह काट लिया, जिससे पैर का मांस तक बाहर निकल आया।
गंभीर हालत में भोपाल रेफर
महिला की चीख-पुकार सुनकर परिजन और मोहल्ले के लोग दौड़े और किसी तरह उन्हें बचाया। परिजनों ने उन्हें तत्काल पचमढ़ी के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण सोमवार को भोपाल रेफर कर दिया गया।
बंदरों के आतंक से परेशान स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों के अनुसार, छावनी परिषद की जिम्मेदारी है कि वह बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़े, लेकिन वह सिर्फ औपचारिकता निभा रही है। बाजार क्षेत्र में घूमने वाले खतरनाक बंदरों को पकड़ने की बजाय आउट एरिया के बंदरों को पकड़ लिया जाता है, जिससे समस्या बनी हुई है। लोगों ने प्रशासन से बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने की मांग की है।
पहले भी हो चुके हैं हमले
जून 2024 में जबलपुर से आई महिला टूरिस्ट पर बंदरों ने हमला कर दिया था, जिसमें उन्हें इलाज के लिए 80,000 रुपए खर्च करने पड़े थे।
यह कोई पहला मामला नहीं है, पचमढ़ी में अक्सर पर्यटकों और स्थानीय लोगों पर बंदरों के हमले की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
बंदर के काटने पर नहीं मिलेगा मुआवज
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) के सहायक संचालक संजीव शर्मा ने बताया कि लाल मुंह के बंदर को वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट से अलग कर दिया गया है। अब अगर यह बंदर किसी को काटता है या हमला करता है, तो फॉरेस्ट विभाग इलाज का खर्च नहीं उठाएगा। पहले इस एक्ट के तहत मुआवजा और इलाज की व्यवस्था थी, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है।
स्थानीय प्रशासन से कार्रवाई की मांग
पचमढ़ी के लोगों ने छावनी परिषद और प्रशासन से मांग की है कि बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ा जाए और उनके हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।