दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही का एक और मामला सामने आया, जहां एक प्रसूता को अपने मृत नवजात के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए तीन दिनों तक भटकना पड़ा। आर्थिक रूप से कमजोर इस महिला को अस्पताल प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, जिससे वह बेहद परेशान रही।
क्या है मामला?
शहडोल जिला अस्पताल से रेफर होकर मेडिकल कॉलेज पहुंची छत्तीसगढ़ के जनकपुर गांव की 22 वर्षीय आरती बसौर ने 6 मार्च को एक मृत नवजात को जन्म दिया। डिलीवरी के दौरान उसके पति ने भी उसे अकेला छोड़ दिया और अस्पताल से भाग गया। अस्पताल प्रशासन ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, लेकिन तीन दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे महिला इधर-उधर भटकती रही।
संस्था ने किया अंतिम संस्कार
मोक्ष मानव सेवा समिति व जनसेवा उत्थान समिति के अध्यक्ष आशीष ठाकुर को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचे और बच्चे के शव को तिलवारा घाट मुक्ति धाम ले जाकर अंतिम संस्कार कराया।
प्रशासन की अनदेखी
पीड़िता ने बताया कि वह पुलिस बूथ तक भी मदद मांगने गई थी, लेकिन उसे कोई सहायता नहीं मिली। अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं थी और वे मामले की जांच के बाद ही कुछ कह सकेंगे।
यह घटना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, जहां एक दुखी मां को अपने मृत नवजात के अंतिम संस्कार के लिए भी दर-दर भटकना पड़ा।