दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर में होलिका दहन की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। मूर्तिकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए आकर्षक होलिका प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं। इस बार भी शहर के कलाकारों ने नवीनता का संचार किया है और विभिन्न थीम पर आधारित प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं।
सबसे ऊंची होलिका, 101 वर्षों की परंपरा
छोटी लाइन फाटक स्थित समिति द्वारा स्थापित की गई 25 फीट ऊंची होलिका प्रतिमा इस बार भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह प्रतिमा पिछले 101 वर्षों से बनाई जा रही है और जबलपुर की सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक मानी जाती है।
70 वर्षीय चमेली बाई और उनकी कला
शहर की 70 वर्षीय बुजुर्ग मूर्तिकार चमेली बाई प्रजापति अपनी बहुओं के साथ मिलकर वर्षों से होलिका की सुंदर और भव्य मूर्तियां बना रही हैं। वे हर साल होलिका और प्रह्लाद की मूर्तियों के ऑर्डर पूरे देशभर से प्राप्त करती हैं। इस बार भी उन्हें सिहोरा, कटनी, सतना, नरसिंहपुर, गोटेगांव, सिवनी, लखनादौन, छपारा, सागर और डिंडोरी से ऑर्डर मिले हैं।
सामाजिक संदेशों का समावेश
मूर्तिकारों ने इस बार भी सामाजिक संदेश देने की परंपरा को जारी रखा है। विभिन्न प्रतिमाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। आकर्षक डिजाइनों में ढली ये मूर्तियां शहर के साथ-साथ अन्य जिलों में भी भेजी जा रही हैं।
होलिका दहन के इस पर्व पर शहर में उत्साह और उल्लास का माहौल है, और मूर्तिकारों की मेहनत इस पर्व की भव्यता में चार चांद लगा रही है।