दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर के गोहलपुर स्थित मोमिन ईदगाह के सामने मुस्लिम समाज ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 और मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा गठित नई मोमिन ईदगाह कमेटी के विरोध में 24 घंटे का धरना प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन 9 मार्च की रात 8 बजे से 10 मार्च की रात 8 बजे तक चला, जिसमें समाज के प्रमुख नेताओं और सदस्यों ने भाग लिया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में कई ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देते हैं। इनमें वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का अधिकार कलेक्टर को सौंपना, गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना और सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्तियों की सूची से बाहर करना शामिल है। समाज का मानना है कि ये प्रावधान वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, पारदर्शिता और धार्मिक स्वायत्तता पर गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।
इसके अलावा, समाज ने मोमिन ईदगाह के लिए मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा 28 दिसंबर 2024 को गठित नई कमेटी पर भी आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि यह गठन वक्फ बायलॉज और पारदर्शी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए किया गया है, जिसमें समाज की सहमति नहीं ली गई। समाज का कहना है कि नई कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिनका रिकॉर्ड ठीक नहीं है और जिन पर समाज विश्वास नहीं करता।
मुस्लिम समाज के नेताओं ने घोषणा की है कि वे 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे, ताकि अपनी मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा सकें।
सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक पुराने कानूनों की कमियों को दूर करने और वक्फ बोर्डों की दक्षता बढ़ाने के लिए लाया गया है।
मुस्लिम समाज की मांग है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को तत्काल निरस्त किया जाए और मोमिन ईदगाह की पुरानी कमेटी को बहाल किया जाए, ताकि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर हाजी गुलाम मोहम्मद भूरे पहलवान, याकूब अंसारी, पार्षद सफीक हीरा, शाबान मंजूरी, वकील अंसारी, अख्तर अंसारी, कलीम खान, अशरफ मंसूरी, अदनान अंसारी आदि मौजूद रहे।