RDVV News : RDVV के कुलगुरु पर लगे आरोपों की जांच सीसीटीवी फुटेज पर अटकी, हाईकोर्ट के निर्देश की अवमानना

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा पर महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए अभद्र इशारे और अशोभनीय टिप्पणी के आरोपों की जांच में सीसीटीवी फुटेज सबसे अहम कड़ी बन गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच जारी है, लेकिन अब तक सबसे महत्वपूर्ण कुलगुरु कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज जांच कमेटी के सामने नहीं आए हैं, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।

सीसीटीवी फुटेज बना अहम सबूत

RDVV प्रशासन के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में यह स्वीकार किया था कि सभी सीसीटीवी कैमरों के फुटेज सुरक्षित हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अब तक केवल कुलगुरु कार्यालय के बाहर के गलियारे और अन्य कैमरों के फुटेज ही उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया था कि पूरा घटनाक्रम कुलगुरु चेंबर में हुआ था।

इसी वजह से जांच कमेटी बार-बार यह मांग कर रही है कि कुलगुरु चेंबर के फुटेज सामने लाए जाएं, क्योंकि यही वीडियो जांच के नतीजे तक पहुंचाने में मददगार होगा।

क्या है मामला?

21 नवंबर 2024 को कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा ने एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मौजूद एक महिला अधिकारी ने अगले दिन आरोप लगाया कि बैठक के दौरान कुलगुरु ने अभद्र इशारे किए और आपत्तिजनक टिप्पणी की।

इसके बाद 22 नवंबर 2024 को महिला अधिकारी ने राज्य महिला आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, आरडीयू कुलसचिव और राजभवन को शिकायत भेजकर जांच की मांग की।

 शिकायत के बाद महिला अधिकारी ने कुलसचिव को आवेदन देकर 21 नवंबर के कुलगुरु कक्ष के सीसीटीवी फुटेज मांगे, लेकिन उन्हें फुटेज नहीं दिए गए। इसके चलते महिला अधिकारी ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने और मामले की जांच कराने की मांग की।

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के निर्देश दिए और सीसीटीवी फुटेज को अहम सबूत मानते हुए उसे सुरक्षित रखने के आदेश भी दिए।

कुलगुरु कार्यालय का स्टाफ तलब

सीसीटीवी फुटेज की उपलब्धता को लेकर अब कुलगुरु कार्यालय के संपूर्ण स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। जांच कमेटी इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि महत्वपूर्ण वीडियो को अब तक क्यों नहीं पेश किया गया।

सूत्रों के अनुसार, कुलगुरु कार्यालय और अन्य कैमरों की फुटेज एक सामान्य स्टोरेज में सेव होती है, लेकिन कुलगुरु चेंबर की रिकॉर्डिंग एक विशेष कंप्यूटर में स्टोर की जाती है, जो कुलगुरु के निजी सचिव के पास होता है। इसी कारण जांच कमेटी ने कुलगुरु के निजी स्टाफ को पूछताछ के लिए बुलाया है।

क्या फुटेज मिटाने की कोशिश हुई?

विश्वविद्यालय में यह भी चर्चा है कि महिला अधिकारी की शिकायत के कुछ दिनों बाद ही कई सीसीटीवी कैमरे और डीवीआर स्टोरेज सिस्टम बदल दिए गए थे।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि नए और उन्नत कैमरे लगाए गए हैं, जो न केवल वीडियो बल्कि ऑडियो भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। लेकिन घटनाक्रम के तुरंत बाद कैमरे बदले जाने से संदेह और गहरा हो गया है।

जांच जारी, हाईकोर्ट की नजरें टिकीं

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी अभी तक सबसे अहम सीसीटीवी फुटेज सामने नहीं आया है, जिससे जांच अधर में लटक गई है। जांच कमेटी जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने के दबाव में है, लेकिन बिना फुटेज के कोई ठोस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल लग रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या कुलगुरु कक्ष के फुटेज सामने आते हैं या मामला और उलझता जाता है।

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