दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त प्रधान आरक्षक रविंद्र शुक्ला को बड़ी राहत दी है। जस्टिस आशीष श्रोती की एकलपीठ ने उनके वेतन और पेंशन का निर्धारण ऐसे करने का आदेश दिया है, जैसे सेवाकाल के दौरान उन्हें कोई सजा न दी गई हो।
अनूपपुर जिले के भालूमाड़ा थाना में प्रधान आरक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए रविंद्र शुक्ला को 1 अप्रैल 2006 को चार्जशीट दी गई थी। विभागीय जांच के बाद 30 अक्टूबर 2006 को उनकी एक वेतनवृद्धि स्थायी रूप से रोक दी गई थी, जिससे उनकी पेंशन भी प्रभावित हुई।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि विभागीय जांच में भारी अनियमितताएं थीं। जांच अधिकारी ने प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की नियुक्ति के बिना एकतरफा कार्रवाई कर उन्हें दोषी ठहराया, जिससे उनकी वेतन वृद्धि और पेंशन प्रभावित हुई।
याचिकाकर्ता के वकील रुद्र प्रसाद चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के मंडल विकास निगम बनाम गिरिजा शंकर पंत 2001 (1) एससीसी 182 के न्याय दृष्टांत का हवाला दिया। इसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने 30 अक्टूबर 2006 को दी गई सजा और 9 जुलाई 2007 की संशोधित सजा को रद्द कर दिया। कोर्ट ने पुलिस विभाग को आदेश दिया कि शुक्ला की पेंशन का पुनः निर्धारण किया जाए। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नर्मदा प्रसाद चौधरी और अमित चौधरी ने पैरवी की।
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