दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर जिले के रैपुरा गांव में कथावाचक देविका पटेल को भागवत कथा करने से रोकने का मामला सामने आया है। कुछ लोगों ने कथित रूप से गैर-ब्राह्मण होने के कारण उनका विरोध किया और उन्हें धमकियां दीं। इस मामले में पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गांव के युवकों ने किया विरोध
रैपुरा गांव में केवलचंद पटेल ने 24 फरवरी से सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया था, जिसमें कथावाचक के रूप में देविका पटेल को बुलाया गया। लेकिन गांव के कुछ युवकों ने कथित रूप से गैर-ब्राह्मण होने का हवाला देते हुए कथा करने से रोकने की कोशिश की। आरोपियों ने कथावाचक देविका पटेल और उनके पिता को धमकी भी दी।
देविका पटेल का आरोप है कि विरोध करने वालों ने उनसे कहा कि अगर वह कथा करना चाहती हैं, तो पहले किसी ब्राह्मण युवक से विवाह करें।
एफआईआर में सात आरोपियों के नाम दर्ज
मामले की शिकायत पर पुलिस ने सचिन तिवारी, सुरेंद्र तिवारी, सचिन मिश्रा, जयकुमार, पवन तिवारी, ईलू तिवारी और लल्ला दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
इन पर धारा 296 (धार्मिक अनुष्ठान में बाधा डालना), धारा 351(2) (धमकी देना) और धारा 3(5) (जातिगत भेदभाव से संबंधित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एक सप्ताह बाद दर्ज हुआ केस, ग्रामीणों ने किया समर्थन
हालांकि धमकियों के बावजूद ग्रामीणों ने देविका पटेल की कथा करवाई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और पुलिस ने भी सुरक्षा प्रदान की। शिकायत मिलने के बाद भी पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में एक सप्ताह लग गया।
देविका पटेल ने कहा "धर्म और अध्यात्म किसी जाति विशेष की संपत्ति नहीं है। हर व्यक्ति को भक्ति और कथा करने का अधिकार है। मुझे मेरे समाज और गांव के लोगों का समर्थन मिला, जिसके लिए मैं आभारी हूं।"
ओबीसी महासभा का प्रदर्शन, ब्राह्मण समाज का भी मिला समर्थन
देविका पटेल के विरोध में कुछ लोग इकट्ठा हुए, लेकिन ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों ने भी उनके समर्थन में आवाज उठाई। इसके अलावा, ओबीसी महासभा ने देविका पटेल के समर्थन में प्रदर्शन किया।
एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने कहा "मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई की और सुनिश्चित किया कि कथा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो। आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।"
जातिगत भेदभाव पर नई बहस
यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता और जातिगत भेदभाव को लेकर एक बड़ी बहस को जन्म दे चुकी है। देविका पटेल ने पहले भी कई स्थानों पर कथा का आयोजन किया है और उन्हें व्यापक समर्थन भी मिला है। लेकिन रैपुरा गांव में गैर-ब्राह्मण होने के कारण उनका विरोध होना समाज में मौजूद भेदभाव को उजागर करता है।