दैनिक सांध्य बन्धु ग्वालियर। ग्वालियर सेंट्रल जेल में दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत सजा काट रहे बंदी मनोज यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। जेल प्रशासन के अनुसार, बुधवार रात उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे जयारोग्य अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। हालांकि, मृतक के परिजनों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
28 वर्षीय मनोज यादव, निवासी ग्राम पठारी कदीम, थाना कुलपहाड़, जिला महोबा (उत्तर प्रदेश), को 7 साल पहले दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। शुरुआत में वह उत्तर प्रदेश की जेल में बंद था, लेकिन 2020 में उसे ग्वालियर सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। बुधवार को कोर्ट से उसकी रिहाई के आदेश आ चुके थे, लेकिन जेल प्रशासन ने समय अधिक होने का हवाला देते हुए परिजनों को सुबह आने को कहा था।
गुरुवार सुबह जब परिजन जेल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि रात में तबीयत बिगड़ने के कारण मनोज यादव को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। इस खबर के बाद परिजनों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया।
मृतक की बहन पूजा ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि रिहाई के आदेश आने के बाद भी उन्हें अपने भाई से मिलने नहीं दिया गया। सुबह जब वह जेल पहुंचीं, तो पहले कहा गया कि मनोज नहा रहा है और इंतजार करने को कहा गया। कुछ घंटे बाद जब उन्हें फिर बुलाया गया, तो बताया गया कि मनोज की मौत हो चुकी है। पूजा ने सवाल उठाया कि रात तक उनका भाई जिंदा था, फिर अचानक उसकी मौत कैसे हो गई?
ग्वालियर सेंट्रल जेल अधीक्षक विदित सरवैया ने कहा कि बंदी मनोज यादव की हालत बुधवार रात बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान संभवतः हार्ट अटैक के कारण उसकी मौत हो गई। पुलिस को सूचना दे दी गई है, और मामले की जांच जारी है।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, परिजनों के आरोपों के बाद अब पुलिस पर दबाव बढ़ गया है कि मौत की असली वजह सामने लाई जाए।