Jabalpur News: फर्जी लोन मामले में बैंक अधिकारी को आरोपी क्यों नहीं बनाया ?

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने फर्जी तरीके से लोन स्वीकृत कराने के मामले में मंडला पुलिस अधीक्षक से पूछा है कि इस मामले में बैंक अधिकारी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। कोर्ट ने यह भी कहा है कि मामले में सही तरीके से जांच नहीं की गई है। कोर्ट ने एसपी और जांच अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के निर्देश दिये हैं। 

मंडला निवासी खगेश झारिया की ओर से अधिवक्ता परितोष त्रिवेदी ने दलील दी की शिकायतकर्ता महिलाल धुर्वे ने एक आवेदन घुघरी थाने में दिया कि एक्सिस बैंक के एक कर्मचारी खगेश झरिया ने उसे लोन दिलाने का प्रलोभन देकर दस्तावेजों और कोरे चेक में दस्खत करा लिए। महिलाल ने लोन स्वीकृत करवाकर राशि का उपयोग स्वयं ही कर लिया। शिकायतकर्ता का यह कहना था कि वह कभी बैंक गया ही नहीं।  यह भीदलील दी गई कि खगेश आउट सोर्सेज कंपनी का कर्मचारी है और वह ग्राहक लाकर बैंक को देता है। लोन स्वीकृत करना बैंक अधिकारियों का काम है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि जब शिकायतकर्ता बैंक गया ही नहीं तो बिना वेरिफिकेशन के लोन किस बैंक अधिकारी ने स्वीकृत कर दिया। कोर्ट ने आवेदक खगेश को जमानत भी दे दी।

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया में शासकीय अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक उपक्रम में पदस्थ संविदा आयुष कर्मियों को नियमानुसार बोनस अंक प्रदान करने पर निर्णय लेने के निर्देश सरकार को दिए। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता बोनस अंक की पात्रता रखते हैं तो 60 दिन के भीतर प्रक्रिया को पूरा करें।

रीवा निवासी डा. अवधबिहारी गौतम सहित करीब दो दर्जन से अधिक संविदा कर्मियों ने याचिका दायर कर बताया कि वे वर्षों से विभिन्न शासकीय अस्पतालों या सार्वजनिक उपक्रम के संस्थानों में संविदा कर्मी के रूप में कार्यरत हैं। अधिवक्ता विट्ठल राव जुमड़े ने बताया कि मप्र राज्य सेवा आयोग ने 28 दिसंबर, 2021 को आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया। भर्ती नियम में केवल संविदा आयुष चिकित्सकों को ही अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रविधान है। याचिकाकर्ता राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा कर्मी के रूप में कार्यरत हैं। 

याचिकाकर्ताओं के पास बीएएमएस की डिग्री भी है। इस मामले में पूर्व में हाई कोर्ट ने अन्य मामलों में यह निर्धारित किया है कि शासकीय अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक उपक्रम में पदस्थ संविदा आयुष कर्मियों को भी बोनस अंक का लाभ दिया जाएगा। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पूर्व निर्णय के अनुसार याचिकाकर्ताओं के प्रकरणों में उक्त लाभ देने का आदेश दिया।

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