दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन पर सरकारी मामलों में पैरवी के नाम पर करोड़ों रुपये लेने का आरोप लगाया गया है। ओबीसी एडवोकेट्स वेल्फेयर एसोसिएशन द्वारा दायर इस याचिका पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
याचिका में दावा किया गया है कि महाधिवक्ता को जस्टिस के समान वेतन मिलने के बावजूद उन्होंने सरकार के विभिन्न विभागों से पैरवी के नाम पर अनाधिकृत रूप से करोड़ों रुपये प्राप्त किए हैं। नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल विश्वविद्यालय से ही उन्हें 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हुआ है।
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकारी विधि अधिकारियों को वेतन के अतिरिक्त किसी भी सरकारी मामले में पैरवी के लिए अलग से राशि नहीं दी जा सकती। याचिका में कहा गया है कि महाधिवक्ता ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर विभिन्न विभागों और निगमों से बड़ी धनराशि अर्जित की है।
हाई कोर्ट ने अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और उदय कुमार की याचिका पर सुनवाई के बाद इसे स्वीकार कर लिया। याचिका में महाधिवक्ता के खिलाफ क्यो वर्रेंटो रिट जारी करने, आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-6 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज करने और एक हाई पावर कमेटी बनाकर उनके कार्यकाल की जांच करने की मांग की गई है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी, जहां महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को अपना पक्ष रखना होगा। देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाती है।