दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली एजेंसी। भारत की शाही वंशावलियाँ, जो कभी उपमहाद्वीप के बड़े हिस्सों पर शासन करती थीं, 1947 में देश के गणराज्य घोषित होने के साथ ही समाप्त हो गईं। भारत की स्वतंत्रता के बाद, कानूनी रूप से राजशाही खत्म कर दी गई और लोकतंत्र को प्रमुखता मिली। हालांकि, कई पूर्व राजपरिवारों के वंशज अब भी भारत में रहते हैं और अपनी वंशावली के चलते प्रभावशाली बने हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नामों में महारानी रजियाकुमारी गायकवाड़ और राजस्थान की राजकुमारी दिया कुमारी शामिल हैं।
प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी का दावा –
ऐसा ही एक नाम जो सुर्खियों में बना हुआ है, वह है प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी। वे खुद को अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर का छठी पीढ़ी का उत्तराधिकारी बताते हैं और दावा करते हैं कि उनकी वंशावली औरंगजेब, शाहजहाँ और अकबर जैसे महान मुगल सम्राटों से जुड़ी हुई है।
ताजमहल और अयोध्या भूमि पर विवादित दावे
प्रिंस तुसी का सबसे बड़ा दावा ताजमहल पर मालिकाना हक को लेकर है। यह सफेद संगमरमर का मकबरा, जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल के लिए बनवाया था, भारत की सबसे प्रतिष्ठित धरोहरों में से एक है। उन्होंने इस दावे को साबित करने के लिए हैदराबाद की अदालत में एक डीएनए रिपोर्ट भी दाखिल की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था।
इसके अलावा, अयोध्या के राम मंदिर स्थल को लेकर भी उन्होंने विवादित दावा किया था। उनका कहना था कि यदि यह भूमि बाबर के नाम से जुड़ी थी, तो वह और उनका परिवार इसके वैध उत्तराधिकारी हैं। हालांकि, उन्होंने राम मंदिर निर्माण में कोई बाधा नहीं डाली और यहां तक कि मंदिर के लिए सोने की एक ईंट दान करने की भी घोषणा की।
औरंगजेब की कब्र के संरक्षक की भूमिका
इसके अलावा, प्रिंस तुसी महाराष्ट्र में स्थित औरंगजेब की कब्र के मुतवल्ली (प्रबंधक) और संरक्षक भी हैं। वे इस ऐतिहासिक स्मारक की सुरक्षा के लिए सरकार से गुहार लगाते रहे हैं। हाल ही में हुई कुछ विनाशकारी घटनाओं के बाद उन्होंने राष्ट्रपति से इस मकबरे की रक्षा के लिए विशेष उपाय करने की अपील की थी।
मुगल वंश का प्रभाव और प्रिंस तुसी की सार्वजनिक छवि
प्रिंस तुसी अपने मुगल वंश से जुड़ी पहचान को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। वे पारंपरिक शाही पोशाक पहनते हैं, जिसमें लम्बे गाउन और मुगलों के समय की खास टोपी शामिल होती है। उनकी सार्वजनिक छवि एक ऐसे व्यक्ति की है जो अपने पूर्वजों के गौरव को पुनः स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।