दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर/छतरपुर। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में हो रही गड़बड़ियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, नियम विरुद्ध आदेशों की किरकिरी छुपाने के लिए छतरपुर के कार्यपालन अभियंता रामकिशोर पाठक को निलंबित कर दिया गया। उन पर शिकायती दस्तावेजों से छेड़छाड़ और शिकायतकर्ता को परेशान करने का आरोप लगाया गया है, जबकि 24 मार्च को हुई शिकायत में किसी भी शिकायतकर्ता का नाम दर्ज नहीं था।
24 मार्च को विद्युत ठेकेदारों के नाम से एक शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें किसी भी ठेकेदार का नाम नहीं था। इसके बावजूद, बिना किसी ठोस आधार के रामकिशोर पाठक का स्थानांतरण कर प्रशांत बैध को उनकी जगह नियुक्त कर दिया गया। इस आदेश के कारण सरकार की किरकिरी होने लगी, जिसके बाद छतरपुर के भाजपा नेताओं ने प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर इस फैसले पर आपत्ति जताई और शक्ति भवन के अधिकारियों पर अनैतिक दबाव में काम करने का आरोप लगाया।
भाजपा नेता द्वारा भेजे गए पत्र के बाद 1 अप्रैल को रामकिशोर पाठक को निलंबित कर दिया गया। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने दस्तावेजों में हेरफेर की और शिकायतकर्ता को परेशान किया। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शिकायत में किसी शिकायतकर्ता का नाम ही नहीं था, तो पाठक किसे परेशान कर रहे थे?
सूत्रों की मानें तो शक्ति भवन के कुछ अधिकारियों ने एक संगठन विशेष के माध्यम से छतरपुर के ठेकेदारों से 29 मार्च को ईमेल द्वारा एक और शिकायत भिजवाई। इसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए विद्युत मंडल ने पाठक को निलंबित कर दिया। इस मामले से एक बार फिर शक्ति भवन के कामकाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं।