दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर और पचमठा मंदिर की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जबलपुर में तीन दिवसीय भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इस विशेष मौके पर श्रद्धालुओं के लिए 56 भोग से सजी एक विशाल महा थाली तैयार की गई, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन शामिल थे। साथ ही 5000 किलो का विशाल लड्डू भी तैयार किया गया, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।
“विविधता में एकता” का संदेश देती महा थाली
महिला मंडल और हनुमान मंदिर सेवा समिति द्वारा तैयार की गई इस थाली में कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स, गुजरात के फाफड़ा, जलेबी और ढोकला, उत्तर प्रदेश का लइया, बनारस का पान, लस्सी और बेल शरबत, बिहार की प्रसिद्ध लिट्टी-चोखा समेत कई क्षेत्रीय व्यंजन शामिल थे। यह महा थाली भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का प्रतीक बनी।
जगद्गुरु राघव देवाचार्य का प्रेरणादायक संदेश
इस अवसर पर जगद्गुरु राघव देवाचार्य ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि “हनुमान जी की शक्ति हमें याद दिलाती है कि हम कौन हैं। जिस प्रकार वे भगवान राम के साथ जुड़े रहे और अपने जीवन का उद्देश्य पाया, उसी तरह हम भी उनकी आत्मा से जुड़कर अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत कर सकते हैं।”
श्रद्धा, भक्ति और भव्यता का अद्भुत संगम
हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था और भक्तों के लिए सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा गया। विशेष पूजा-अर्चना, भजन संध्या और प्रवचन के साथ यह आयोजन श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम बन गया।
“जय बजरंग बली” के जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर
पूरे मंदिर परिसर में “जय श्री राम” और “जय बजरंग बली” के गगनभेदी जयकारों की गूंज सुनाई दी। भक्तों ने व्रत रखकर और पूजा कर भगवान हनुमान के चरणों में अपनी आस्था प्रकट की।
धार्मिक चेतना को जगाता यह पर्व
चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती न केवल भगवान हनुमान के जन्म का प्रतीक है, बल्कि यह अवसर हिंदू समाज को अपनी जड़ों से जुड़ने और आत्मबल को पहचानने की प्रेरणा भी देता है।
“जय हनुमान ज्ञान गुन सागर” – यही रहा आयोजन का मूल मंत्र!
यह आयोजन पचमठा मंदिर को जबलपुर ही नहीं, पूरे क्षेत्र में आस्था का केंद्र बनाने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम साबित हुआ।