दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से 15 करोड़ रुपये की नकदी मिलने के एक माह बाद भी कोई एफआईआर दर्ज न होने से देशभर में सवाल उठ रहे हैं। जबलपुर में नागरिक उपभोक्ता मंच ने इस मामले में ईडी से जांच, जस्टिस वर्मा के इस्तीफे और न्यायपालिका में पारदर्शिता की मांग करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
घंटाघर चौक पर विरोध प्रदर्शन, जांच सार्वजनिक करने की मांग
घंटाघर चौक पर नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पी.जी. नाजपांडे के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा, "आम नागरिक पर तुरन्त एफआईआर होती है, फिर जस्टिस वर्मा पर विशेष रियायत क्यों?" मंच ने मांग की कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और उन्हें तत्काल पद से हटाया जाए।
क्या है पूरा मामला?
14 मार्च: लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के घर में आग लगने के बाद स्टोर रूम से जले हुए कैश के बोरे मिले।
21 मार्च: सांसद जयराम रमेश ने राज्यसभा में न्यायिक जवाबदेही का मुद्दा उठाया।
22 मार्च: CJI संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, और वर्मा को कोई काम न सौंपने का निर्देश दिया।
22 मार्च रात: सुप्रीम कोर्ट ने जली हुई नोटों की बोरियों का वीडियो जारी किया।
23 मार्च: तीन सदस्यीय जांच समिति में हाईकोर्ट के तीन मुख्य न्यायाधीश शामिल किए गए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस प्रकरण में FIR न होने पर कहा, “अब जज कानून बना रहे हैं, कार्यपालिका की भूमिका निभा रहे हैं, संसद से ऊपर खुद को मान रहे हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा है।”
हाईकोर्ट जजों की संपत्ति सार्वजनिक नहीं
डॉ. नाजपांडे ने बताया कि देशभर के 762 हाईकोर्ट जजों में से केवल 95 ने ही अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है। 24 हाईकोर्ट में से सिर्फ 6 ने ही वेबसाइट पर जजों की संपत्ति डाली है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के 33 में से 30 जज यह विवरण साझा कर चुके हैं।
मंच की प्रमुख मांगें:
1. जस्टिस वर्मा के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज की जाए।
2. जांच ईडी से कराई जाए।
3. जांच प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो।
4. सभी हाईकोर्ट जज अपनी संपत्ति सार्वजनिक करें।