दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। कलेक्टर दीपक सक्सेना की मंशा पर पानी फेरते हुए जबलपुर के पुस्तक मेले में किताब और स्कूल माफिया फिर सक्रिय हो गए हैं। उद्देश्य था पालकों को राहत देना, सस्ती दरों पर किताबें उपलब्ध कराना और पब्लिशर्स व स्कूलों की मोनोपोली खत्म करना, लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट दिख रही है।
शहर के कई नामी स्कूलों की किताबें, जिनकी लिस्ट पेरेंट्स को स्कूलों से दी गई, मेला परिसर में उपलब्ध ही नहीं हैं। खासकर सेंट ग्राबीयर, स्टेमफील्ड, माउंट लिटरा, विजडम वैली और लिटिल किंगडम जैसे स्कूलों की किताबों का संकट बना रहा। हताश अभिभावक भटकने के बाद पेरेंट्स एसोसिएशन के पास पहुँचकर अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं।
मेले में एनसीईआरटी किताबें उपलब्ध जरूर हैं, पर कई स्कूल अब भी निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें थोप रहे हैं। कलेक्टर के आदेश अनुसार केवल 25% तक मूल्य वृद्धि वाली किताबें ही मान्य थीं, लेकिन कुछ स्कूलों ने नियमों की खुली अवहेलना की है।
कॉपी-किताबों में भी भारी खेल सामने आया है। 50% छूट के नाम पर घटिया गुणवत्ता की कॉपियां बेची जा रही हैं, जबकि अच्छी क्वालिटी की कॉपियां बाजार में 30-35% छूट पर उपलब्ध हैं। एमआरपी से अधिक वसूली की शिकायतें भी सामने आई हैं।
पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता, विकास पॉल, अमित पलिया, रमन श्रीवास्तव, प्रवेन्द्र सिंह व विजय सूर्यवंसी लगातार मेले में अभिभावकों की शिकायतें एकत्र कर रहे हैं, परंतु अब तक प्रशासन की ओर से न कोई जवाब मिला और न ही कोई कार्यवाही।