दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। मुंबई 26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ चौथे दिन भी जारी रही। सूत्रों के अनुसार, राणा से प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पूछताछ हो रही है, जिसमें वह पूरी तरह सहयोग कर रहा है। अभी तक राणा ने केवल तीन चीजें मांगी हैं—एक पेन, नोटपैड और कुरान शरीफ। भोजन को लेकर उसने कोई विशेष मांग नहीं की है, इसलिए उसे सामान्य कैदियों जैसा खाना दिया जा रहा है।
‘कर्मचारी बी’ का नाम आया सामने, हेडली को दी थी मदद
शनिवार को हुई पूछताछ में एक अहम खुलासा हुआ, जिसमें 'कर्मचारी बी' का जिक्र सामने आया है। बताया गया कि इस व्यक्ति ने राणा के कहने पर डेविड हेडली को लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल सपोर्ट दिया था। जल्द ही NIA इन दोनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी।
ISI से राणा के रिश्ते, ‘दुबई मैन’ का भी हुआ जिक्र
राणा ने पूछताछ में एक ‘दुबई मैन’ का नाम भी लिया है, जिसे हमले की पूरी जानकारी थी और जो पाकिस्तान-दुबई नेटवर्क के जरिये फंडिंग और लॉजिस्टिक में अहम भूमिका निभाता था। साथ ही, राणा का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी करीबी संबंध रहा है।
वॉयस सैंपल से जुड़ेगा हेडली से संपर्क का सबूत
NIA अब राणा के वॉयस सैंपल लेने की तैयारी कर रही है ताकि यह पुष्टि की जा सके कि क्या 2008 के हमलों के दौरान वह फोन पर निर्देश दे रहा था। अगर वह सहमति नहीं देता है, तो एजेंसी कोर्ट का रुख करेगी।
हाई सिक्योरिटी सेल में रखे जाने के पीछे गंभीर कारण
राणा को लोधी रोड स्थित NIA हेडक्वार्टर में 14x14 फीट की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। वह ‘सुसाइड वॉच’ पर है और उस पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। उसे केवल सॉफ्ट टिप वाला पेन ही दिया गया है ताकि वह खुद को नुकसान न पहुंचा सके।
प्रत्यर्पण रोकने की कोशिशें और अमेरिकी जवाब
राणा ने भारत प्रत्यर्पण रोकने के लिए 33 बीमारियों का हवाला दिया था, जिनमें पार्किंसन्स, टीबी, ब्लैडर कैंसर, अस्थमा आदि शामिल हैं। उसने भारत में प्रताड़ना की आशंका भी जताई थी, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग ने सभी दावों को खारिज करते हुए प्रत्यर्पण को अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप बताया।
अमेरिका से भारत लाने के बाद बढ़ी सुरक्षा
10 अप्रैल को विशेष विमान से भारत लाया गया तहव्वुर राणा अब NIA की कस्टडी में है। पूछताछ के बाद उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई सिक्योरिटी वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर से बना आतंकी साथी
64 वर्षीय राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका है और बाद में कनाडा जाकर इमिग्रेशन सर्विसेज का व्यवसाय शुरू किया। उसकी फर्म ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ अमेरिका के कई शहरों में कार्यरत थी। राणा 7 भाषाएं बोल सकता है और दुनिया के कई देशों की यात्राएं कर चुका है।