दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर चल रहे फर्जीवाड़े के मामले में अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) भी जांच के दायरे में आ गई है। शुक्रवार को हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने सुनवाई करते हुए INC को सत्र 2018 से 2022 तक की मान्यता से जुड़ी समस्त फाइलें पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने दिया।
याचिकाकर्ता विशाल बघेल, जो लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि कई अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को INC, MP नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा मान्यता दी गई, जबकि उनके निरीक्षण फर्जी थे। कोर्ट को बताया गया कि झूठी निरीक्षण रिपोर्टों के आधार पर सुटेबिलिटी दी गई, जिससे हज़ारों छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में है।
हाईकोर्ट इससे पहले राज्य सरकार को आदेश दे चुका है कि अपात्र कॉलेजों के करीब 10,000 छात्रों को 30 दिनों के भीतर पात्र कॉलेजों में ट्रांसफर किया जाए। वहीं जिन कॉलेजों में सीबीआई जांच के दौरान छात्र नहीं मिले, उन छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि 300 कॉलेजों की मान्यता संबंधी फाइलों का तुलनात्मक अवलोकन कर रिपोर्ट पेश की जाए, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि किन परिस्थितियों में अपात्र कॉलेजों को मान्यता दी गई।
हाईकोर्ट का यह सख्त रुख स्पष्ट करता है कि अब सिर्फ राज्य सरकार या लोकल काउंसिल ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं भी जवाबदेही से नहीं बच पाएंगी।
इस केस ने पूरे प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें 8 अप्रैल की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह साफ हो सकता है कि कौन-कौन अधिकारी इस घोटाले में जिम्मेदार हैं।