दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर/Jabalpur । जहां एक ओर नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर ‘हरित जबलपुर’ के नाम पर सड़कों के किनारे पेड़ लगवा रहा है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं पेड़ों को सरकारी अफसरों की मिलीभगत से बेरहमी से काटा जा रहा है। ताज़ा मामला सिविक सेंटर चौपाटी के सामने का है, जहां एक घना, हरा-भरा पेड़ — जो राहगीरों को राहत और छांव देता था — उसे दिनदहाड़े काट डाला गया।
आरोप नगर निगम के उद्यान विभाग में पदस्थ सब इंजीनियर अमन तिवारी पर है, जिन्होंने कथित तौर पर एक दुकानदार की साठगांठ से यह पेड़ कटवाया। जैसे ही स्थानीय लोग जमा हुए, अमन तिवारी और लेबर टीम मौके से भाग खड़े हुए — पेड़ गिरा, लेकिन ज़मीर नहीं जागा।
यह कोई पहली घटना नहीं है। जब-जब बिल्डरों के रास्ते में पेड़ आए, उन्हें ठिकाने लगाया गया — कभी रात के अंधेरे में, तो कभी नियमों की आड़ में। जिन पेड़ों को लगाते वक्त बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, उन्हीं पेड़ों को काटते वक्त पूरा तंत्र मौन साध लेता है।
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