दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो शहर में वर्षों से लावारिस और मृतकों की संपत्तियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने नाम करवा कर उन्हें बेचने का काम कर रहा था। गिरोह का भांडा तब फूटा जब आरोपी शुभम ठाकुर उर्फ कयाज उर्फ शिवम, जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के कार्यालय पहुंचा और मृतक दंपत्ति की जमीन को अपने नाम करवाने की कोशिश करने लगा। शुभम खुद को रोहित लटोरिया बताकर भूखंड क्रमांक 571 से जुड़े दस्तावेज़ लेकर पहुंचा था। यह जमीन केपी लटोरिया और उनकी पत्नी के नाम दर्ज थी।
दोनों की वर्षों पहले मृत्यु हो चुकी है और वे निसंतान थे। जेडीए ने कई बार सार्वजनिक नोटिस जारी किए, पर जब कोई दावेदार सामने नहीं आया तो भूमि को संदेहास्पद श्रेणी में रखा गया। जेडीए अधिकारियों को शुभम द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर शक हुआ। दस्तावेजों की बारीकी से जांच करने पर गड़बड़ी सामने आई, जिसके बाद शुभम को पकड़ा गया और ओमती थाना पुलिस को सौंप दिया गया। पूछताछ में शुभम ने बताया कि वह मनोज नामदेव निवासी गढ़ाफाटक, छोटू ठाकुर निवासी विकास नगर और जतिन राज निवासी विजय नगर के इशारे पर काम कर रहा था। ये सभी मिलकर ऐसे भूखंडों की पहचान करते थे जिनके कोई वारिस सामने नहीं आया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुभम के पास से फर्जी आधार कार्ड और वोटर आईडी भी बरामद हुए हैं। उसने खुद स्वीकार किया कि उसके दो नाम इसलिए हैं क्योंकि उसके पिता ने दो शादियाँ की थीं, जिससे एक नाम मुस्लिम और दूसरा हिंदू पहचान से जुड़ा है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और अब तक कई भूखंडों पर इसी तरह का फर्जीवाड़ा कर चुका है। पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की भी तलाश की जा रही है। सूत्रों के अनुसार शुभम एक स्थानीय केबिल संचालक के यहां काम करता था। पुलिस उसे वहां भी पूछताछ के लिए लेकर गई है, ताकि पता चल सके कि गिरोह की योजना कहां और कैसे बनती है।
राजनीतिक साजिश के तहत फंसाने की कोशिश
यह पूरी तरह से राजनीतिक साजिश है। मेरा इस आरोपी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप कोई लेना देना नहीं है। साजिश के तहत मुझे इस मामले में फंसाया जा रहा है। यदि जांच निष्पक्ष हो तो सच्चाई सामने आ जाएगी। मैं इस मामले सोमवार को पुलिस अधीक्षक से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करूंगा। - जतिन राज, पूर्व पार्षद